डिसमेनोरिया (कष्टार्तव) क्या है – कारण, लक्षण और प्राकृतिक उपचार।
ऐसा दर्द जो पीरियड के टाइम या ठीक पीरियड से पहले होता है। जैसे पेट के नीचे वाले हिस्से में खिंचाव सा महसूस होना और पीठ का दर्द पैर तक फैलना। कुछ महिलाओं में तो चक्कर और उल्टियाँ भी आने लगती हैं, जो आपकी बॉडी को पीरियड के टाइम तक इतना कमजोर बना देती हैं कि आप शारीरिक और मानसिक रूप से भी थक जाते हैं। जिसे डिसमेनोरिया कहा जाता है डिसमेनोरिया के प्रकार: प्राथमिक डिसमेनोरिया (Primary Dysmenorrhea) – यह एक तरह से डिसमेनोरिया का सामान्य दर्द है। जब पीरियड आते हैं, तब गर्भाशय सिकुड़ने लगता है, जिससे मांसपेशियों के ऊतकों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इसी कारण पीरियड के समय दर्द होता है। यह ज़्यादातर टीनएज में या तब होता है जब पीरियड्स का आना शुरू होते हैं। द्वितीयक डिसमेनोरिया (Secondary Dysmenorrhea) – यह दर्द तब महसूस होता है जब गर्भाशय में फाइब्रॉइड बनने लगते हैं। इसमें नीचे पेट में दर्द या ज़रूरत से ज़्यादा खिंचाव महसूस होता है। यह समस्या ज़्यादातर 25 से 30 साल की उम्र की महिलाओं में होती है। (पीरियड्स या लाइफस्टाइल : पहले की लाइफ या अब की लाइफस्टाइल में अंतर) पीरियड्स एक जैविक प्रक्रिया है जो महिलाओं के शरीर में प्राचीन समय से होती आ रही है। उस समय की महिलाएँ भी मासिक धर्म का दर्द महसूस करती थीं, या कह सकते हैं कि डिसमेनोरिया का दर्द पहले की महिलाओं में भी होता था। लेकिन उनकी लाइफस्टाइल अलग थी। क्योंकि वे खेतों और घर का बहुत सारा शारीरिक काम करती थीं, इसलिए उनका पाचन और शरीर ज़्यादा मज़बूत होता था। जब भी उन्हें पीरियड दर्द होता, तो वे इसे प्राकृतिक नुस्खों से ठीक करती थीं | जैसे :- हल्दी वाला दूध अजवाइन +गुड हींग का पानी तिल के तेल की मालिश आजकल की जेनरेशन में इतना शारीरिक काम नहीं है, क्योंकि अब ज़्यादातर चीज़ों की इतनी सुविधाएँ हो चुकी हैं। अगर कोई महिला घर पर भी है तो वहाँ भी इतनी मशीनरी का इस्तेमाल होता है कि इंसान उन्हें इस्तेमाल करने में ही थक जाता है। जैसे :- वॉशिंग मशीन आधुनिक सुविधाएँ – मिक्सर, ग्राइंडर, माइक्रोवेव अब तो हर घर में ऑटो, स्कूटी और कार हैं, इसलिए पैदल चलना लगभग बंद हो गया है। 3. पहले की ज़िंदगी में तनाव कम था, क्योंकि सब अपने काम में व्यस्त रहते थे। शारीरिक रूप से थक भी जाते थे तो माहौल शांत मिल जाता था। लेकिन आज की ज़िंदगी में माहौल शांत ही नहीं है, चारों तरफ़ शोर है और आजकल लोग इतने खाली बैठे रहते हैं कि डिप्रेशन में जाने के मामले बढ़ने लगे हैं, जिसकी वजह से डिसमेनोरिया के मामले भी बढ़ने लगे हैं। 4.पहले की महिलाएँ लोगों से मिलती-जुलती थीं, बातचीत होती थी और बाहर के खुले माहौल से जुड़ी रहती थीं। लेकिन आज की महिलाएँ घर के अंदर हैं, किसी से जुड़ाव नहीं है। खासकर टीनएज लड़कियाँ इतनी फ़ोन और सोशल मीडिया में खोई रहती हैं कि वे अंदर से अकेलापन महसूस करने लगी हैं और तनाव लेने लगी हैं। डिसमेनोरिया (कष्टार्तव) के कारण ;- गैस बनना और बार-बार पेट खराब होना इसके अलावा उल्टियाँ आना या मतली महसूस होना पाचन की समस्या होना गले में कुछ अटका हुआ लगना या जलन होना बार-बार टॉयलेट जाना सिरदर्द होना कमर के नीचे हिस्से में दर्द होना और फिर वह जांघ तक पहुँच जाना कमजोरी, चक्कर आना या बेहोशी जैसा लगना नींद न आना और हर समय चिड़चिड़ा व्यवहार करना “पीरियड्स के दर्द डिसमेनोरिया (कष्टार्तव) को प्राकृतिक तरीके से कैसे ठीक करें?” ऊपर बताए गए जितने भी कारण हैं, उनमें से अगर आप किसी भी कारण के साथ समस्या का सामना कर रही हैं तो आपको यह समझना ज़रूरी है कि अब आपको देरी नहीं करनी चाहिए। इसके लिए अच्छी डाइट और वर्कआउट दोनों ज़रूरी हैं। लेकिन कई बार पीरियड्स में स्थिति इतनी कमजोर हो जाती है कि इस तरह की समस्या आने पर वर्कआउट करना भी मुश्किल हो जाता है क्योंकि शरीर में कमजोरी बढ़ चुकी होती है। इसलिए आपको सबसे पहले जिस चीज़ पर ध्यान देना है, वह है आपकी डाइट, ताकि आपकी मेडिकल कंडीशन ज़्यादा खराब न हो। प्राकृतिक डाइट जिसे सभी महिलाओं को अपनाना चाहिए :- (पीरियड्स के पहले पाँच दिन की डाइट) सुबह उठते ही 😊- सुबह उठते ही गुनगुना पानी पिएँ। अगर दर्द ज़्यादा है तो गुनगुना पानी पीने के कुछ देर बाद ½ चम्मच अजवाइन, ½ चम्मच कलौंजी और 1 चम्मच गुड़ की चाय पिएँ। नाश्ते (ब्रेकफ़ास्ट) में – मूंग दाल की खिचड़ी या दलिया + 1 चम्मच घी लें। नाश्ते के बाद – 3 से 4 खजूर या 1 चम्मच गुड़ खाएँ। दोपहर का खाना :- मूंग दाल की खिचड़ी या कोई हल्की सी सब्जी या रोटी सलाद 1 चम्मच घी शामको 4 से 5 बजे के बीच :- अदरक, सौंफ, या मुलेठी वाली चाय लेनी है या चीनी की जगह गुड़ का उपयोग करना है तिल या गुड़ का छोटा सा लड्डू रात का खाना :- हल्की कोई सी भी सब्जी या रोटी या मूंग दाल की खिचड़ी सोते समय 1 चम्मच शतावरी चूर्ण + गुणगुना दूध ➕ पीरियड के 5 दिन पूरे होने के बाद, यानि कि 6 दिन से नीचे वाली डाइट फॉलो करें:- उठते ही गुनगुना पानी पीना है रात को भिगोए हुए बादाम के छिलके उतारकर खाने हैं। अगर पेट में दर्द या गैस हो तो ½ बड़ा हिंग्वाष्टक केश गुनगुने पानी के साथ खायें। सुबह का खाना:- दलिया, खिचड़ी, मूंग दाल या बेसन का चीला अजवाइन डालकर खाएँ कुछ देर बाद हर्बल चाय बनाएं- सौफ + अदरक + तुलसी दोपहर का खाना:- जब स्थिति ज्यादा खराब हो तो डाइट में लंच के समय कभी-कभी राजगिरा / ज्वार या बाजरे की रोटी इस्तेमाल करना सही होता है अच्छे परिणाम के लिए। हमेंशा लंच के बाद थोड़ा सा गुड़ खाए 4 से 5 बजे कभी हर्बल चाय कभी नींबू पानी कभी तिल या गुड़ का लड्डू जरूर ले रात का खाना – हल्का खाना :- खिचड़ी, सूप, दाल टालें: तली हुई चीज़ें और फास्ट फ़ूड सोते समय: 1 चम्मच शतावरी गुनगुने दूध के साथ अगर पेट में